बर्लिन: ऐसा क्या करे कि मकान का किराया ना बढ़े

जर्मनी की राजधानी बर्लिन में तेज़ी से बढ़ते निर्वाह व्यय को नियंत्रित करने के लिए कुछ लोग मकान के किराए में बढ़ोतरी पर पांच साल की रोक लगाने का प्रस्ताव रख रहे हैं. क्या यह कारगर होगा?

जर्मनी की जीवन्त राजधानी बर्लिन को कभी किसी पूर्व मेयर ने "पूअर बट सेक्सी" से संबोधित किया था- एक ऐसा नारा जिसमें वहां होने वाला कम निर्वाह व्यय प्रतिबिम्बित था.

लेकिन आजकल इस नारे के पूअर वाले हिस्से की तस्वीर तेज़ी से बदल रही है. इसे जानने के लिए आप केवल वहां रहने के लिए एक ठिकाना ढूंढने का प्रयास करें.

अध्ययन के सस्ते केन्द्र के कारण विद्यार्थियों को आकर्षित करने वाला यह शहर युवा पेशेवरों को भी लुभाता है.

इसी से बर्लिन इस समय दुनिया के सम्पदा बाज़ार में सबसे तेज़ी से विकास करता एक शहर बन गया है. इसके कारण मकान के किरायों में भी बहुत तेज़ी से बढ़ोतरी हुई है.

इम्मोवेल्ट नामक सम्पदा कारोबार से संबंधित पोर्टल के एक हालिया अध्ययन के अनुसार बर्लिन में पिछले दस वर्षों में ही मकान के मासिक किरायों में दोगुना से अधिक की बढ़ोतरी हुई है. वर्ष 2008 में यह दर 5.60 यूरो प्रति वर्गमीटर थी जो 2018 में 11.40 यूरो हो गई.

हालांकि कुल मिलाकर देखा जाए तो जर्मनी के अन्य बड़े शहरों जैसे म्युनिख या फ्रेंकफर्ट के मुकाबले किराये अब भी कम हैं, लेकिन 103 प्रतिशत की यह बढ़ोतरी देश के अन्य शहरों के मुकाबले कहीं अधिक है.

जैसा पड़ोस ढूंढा जाएगा, मकान के किराए वैसे ही हो जाएंगे.

2017 के आंकड़ों के अनुसार इसी शहर के कुछ अच्छे इलाकों में एक कमरे का अपार्टमेंट औसतन 1000 यूरो प्रतिमाह के किराए पर उठा था.

किराया बढ़ाने पर प्रतिबंध की मांग
बढ़ते खर्च की समस्या निश्चित तौर पर केवल बर्लिन की नहीं है; दुनिया के प्रमुख शहर इसी तरह की समस्या से जूझ रहे हैं. स्थानीय राजनीतिज्ञों/नेताओं के एक दल ने बहुत ही मूलभूत विचार रखा है- अगले पांच वर्षों तक मकान के किरायों पर बढ़ोतरी पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाना.

बर्लिन सोशल डेमोक्रेट्स के उप प्रमुख और इस विचार से सहमत जूलियन ज़ाडो बताते हैं, "पांच-छह साल पहले तक बर्लिन में मकान के किराए बहुत कम थे. मेरे जैसे बहुत से युवा लोग बर्लिन आ गए क्योंकि यहां मकान का किराया फ्रेंकफर्ट या म्युनिख जैसे शहरों के मुकाबले लगभग आधा ही था. अब हैरत यह है कि बर्लिन में कितनी तेज़ी से सब कुछ बदल गया."

जर्मनी विशेष रूप से अपनी आवास नीति राष्ट्रीय स्तर पर तय करता है. लेकिन एक स्थानीय वकील ने जब यह तर्क दिया कि हर राज्य को अपने आवास अधिनियम स्वयं बनाने की कानूनी छूट होनी चाहिए, तो बर्लिन के सेंटर लेफ्ट सोशल डेमोक्रेट्स ने इस विचार को लपक लिया और मीटेनडेकेल यानी किरायों की बढ़ोतरी पर प्रतिबंध से संबंधित अपनी योजना प्रस्तावित की.

बर्लिन क्यों आते हैं लोग?
इस नए प्रस्ताव के पीछे विचार यह है कि जब तक यहां की मांग पूरा करने के लिए नए आवास तैयार हो पाते हैं, तब तक काफी समय बीत जाएगा.

ज़ाडो का कहना है कि मकान के किराए में बढ़ोतरी के लिए पांच वर्ष के लिए प्रतिबंध लगाने से शहर में इस बढ़ोतरी पर तब तक के लिए विराम लग जाएगा जब तक कि नए अपार्टमेंट की उपलब्धता बढ़ने से बाज़ार स्थिर नहीं हो जाता.

वे और उनके सहयोगी चाहते हैं कि आदर्श रूप में मकान के किराए का औसत वर्तमान 11.40 यूरो प्रति वर्गमीटर से कम होकर लगभग छह से सात यूरो प्रति वर्गमीटर हो जाए.

मकान के किराए में बढ़ोतरी के लिए पांच वर्ष के लिए प्रतिबंध लगाने से शहर में इस बढ़ोतरी पर तब तक के लिए विराम लग जाएगा जब तक कि नए अपार्टमेंट की उपलब्धता बढ़ने से बाज़ार स्थिर नहीं हो जाता.

जूलियन ज़ाडो बताते हैं, "हर वर्ष दसियों हज़ार लोग बर्लिन आते हैं क्योंकि यह एक बहुत आकर्षक शहर है. हमें पता है कि इससे समस्या और अधिक बढ़ेगी. लोगों के आने की दर बनने वाले मकानों की दर से अधिक है."

बर्लिन में मकान किराए पर देने की आदत
पिछले दशक में बर्लिन की आबादी कई लाख बढ़ गई. सरकारी आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2008 के अंत में शहर की आबादी 34 लाख थी जबकि इस समय यह बढ़कर 37 लाख हो गई है. बर्लिन सीनेट के अनुमान के अनुसार यह बढ़ोतरी और तेज़ होगी और 2025 तक शहर की जनसंख्या 40 लाख से अधिक हो जाने की संभावना है.

यदि यह देखा जाए कि लगभग 85 प्रतिशत बर्लिन निवासी अपने मकानों के मालिक न बनकर उन्हें किराए पर दे देते हैं, तो पूरी समस्या समझ में आ जाती है.

किराए पर मिलने वाले इन अपार्टमेंट्स में से कुछ सरकारी हैं- अन्य अपार्टमेंट बड़ी निजी कंपनियों तथा छोटे पैमाने पर मालिकाना हक रखने वाले मकान मालिकों के हाथ में हैं.

बर्लिन के किसी भी नए निवासी से यदि आप पूछेंगे तो पूरी संभावना है कि आपको अपार्टमेंट/किराए पर मकान ढूंढने की उनकी कहानी की जानकारी होगी.

टेक्नोलॉजी/प्रौद्योगिकी उद्योग में काम करने वाली 26 वर्षीय गेब्रियेला लिनार्डी दो वर्ष पूर्व अमरीका से बर्लिन पहुंची और उन्होंने एक फ्लैट पट्टे पर ले लिया जिसका मासिक खर्च उन्हें लगभग 300 यूरो पड़ता है.

इसी उद्योग में काम करने वाले 29 वर्षीय उनके जर्मन मंगेतर इस शहर में लम्बे शहर में रह रहे हैं और लगभग इतना ही किराया देते हैं.

अब दोनों एक साथ रहना चाहते हैं, लेकिन अपने मौजूदा किराये का दोगुना देने की पेशकश करने के बावजूद उन्हें कोई नया फ्लैट नहीं मिला है.

लिनार्डी बताती हैं, "हालांकि अपने अपना बजट दोगुना कर दिया है लेकिन हमें इसी फ्लैट जैसा कोई दूसरा फ्लैट नहीं मिल पा रहा है जबकि हम मुख्य शहर से दूर भी जा रहे हैं."

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