पिछले साल तक बोरिस कभी भी पोर्क चॉप खाने से इनकार नहीं करता था. गर्मियों के दिनों में वो आइसक्रीम भी बहुत चाव से खाता था.
वहीं, गर्मियों में उसे भुना हुआ बीफ़, पोर्क, भुने आलू और कई तरह की सब्ज़ियां खाना पसंद था. बोरिस पांच बरस का कैवेलियर किंग चार्ल्स स्पैनियल नस्ल का कुत्ता है.
जब बोरिस की मालकिन एनीमैरी फॉर्मे ने उसे पीडीएसए पेट फिट क्लब में भर्ती कराया, तब तक उसका वज़न 28 किलो हो चुका था, जो तय मानक से दोगुना था.
पीडीएसए पेट फिट क्लब पालतू जानवरों को मोटापे से लड़ने में मदद करता था.
यहां आते-आते बोरिस का हाल ये था कि उसे कार में बिठाने के लिए दो लोगों को हाथ लगाना पड़ा. उसके एक पांव को गठिए ने जकड़ लिया था.
क़रीब छह महीने की डाइटिंग और नियमित रूप से कसरत के बाद बोरिस का वज़न 7 किलो घट गया है.
उसने सैडी नाम के लैब्राडोर नस्ल के कुत्ते के साथ मिलकर मोटापा घटाने का मुक़ाबला जीता है.
ऐसा नहीं है कि मोटापे ने सिर्फ़ बोरिस को जकड़ा है. दुनिया भर में पालतू जानवरों का मोटापा बढ़ रहा है.
आज की तारीख़ में 22 से 44 फ़ीसदी तक पालतू जानवर मोटापे के शिकार हैं और ये तादाद लगातार बढ़ रही है.
ज़्यादा वज़न वाले कुत्तों के मालिक उन्हें तला भुना ख़ूब खिलाते हैं. इसके अलावा खाने की मेज पर बचा खाना भी पालतू कुत्तों के सुपुर्द कर दिया जाता है.
इसी तरह पालतू मोटी बिल्लियों के मालिक उन्हें घुमाने ले जाने, उनके साथ खेलने के बजाय उन्हें खाने-पीने की चीज़ें देकर ख़ुश करते हैं.
अगर किसी कुत्ते के मालिक मोटे हैं, तो कुत्ता भी मोटापे का शिकार होगा. वैसे मोटापा सिर्फ़ घरेलू जानवरों को नहीं हो रहा. इसके शिकार जंगली जानवर भी हो रहे हैं.
जबकि न तो उन्हें ज़्यादा खाना दिया जा रहा है, न उनके वर्ज़िश करने में कमी आई है.
अब अगर, जानवर मोटापे के शिकार हो रहे हैं, तो ज़रूर कोई न कोई कारण है, जिसे खोजा जाना ज़रूरी है.
कहीं इसका ताल्लुक़ इंसानों में बढ़ती मोटापे की बीमारी से तो नहीं? आज दुनिया में क़रीब 1.9 अरब लोगों का वज़न औसत से ज़्यादा है.
इन में से 65 करोड़ लोग मोटापे के शिकार हैं. ये दुनिया की कुल वयस्कों की आबादी का 13 फ़ीसद बैठता है.
1975 के बाद से दुनिया में मोटे लोगों की तादाद तीन गुनी बढ़ गई है. आज पांच साल से कम उम्र के चार करोड़ से ज़्यादा बच्चे मोटापे के शिकार हैं.
सबसे ज़्यादा वज़नदार कुत्ते लैब्राडोर नस्ल के होते हैं. एलेनोर रैफन कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में जानवरों की डॉक्टर और रिसर्चर हैं.
वे कहती हैं कि लैब्राडोर में मोटापे के कुछ ऐसे जीन हैं, जो उनका वज़न औसत से कम से कम दो किलो बढ़ा देते हैं.
एलेनोर कहती हैं, "जब इन कुत्तों के मालिक किचन में होते हैं, तो ये भी वहीं मंडराते रहते हैं. अक्सर उन्हें खाने के टुकड़े मिल जाते हैं. वो लगातार खाते रहते हैं."
"मज़े के लिए नहीं, बल्कि उन्हें भूख लगी होती है. कुत्तों को इतनी भूख लगने की वजह पीओएमसी नाम का एक जीन होता है. कुत्तों की ये मिसाल इंसानों के लिए भी सबक़ है."
हर वक़्त भूख का एहसास होते रहने के पीछे क़ुदरती कारण हैं. ऐसा हम अपने जीन्स की वजह से महसूस करते हैं. और ये जीन हमें विरासत में मिलते हैं.
अच्छी ख़बर ये है कि जैसे हमारे ज़्यादा खाने का कारण हमें जानवरों पर रिसर्च से पता चला, वैसे ही जानवरों की मिसाल से हम मोटापा भी घटा सकते हैं.
वहीं, गर्मियों में उसे भुना हुआ बीफ़, पोर्क, भुने आलू और कई तरह की सब्ज़ियां खाना पसंद था. बोरिस पांच बरस का कैवेलियर किंग चार्ल्स स्पैनियल नस्ल का कुत्ता है.
जब बोरिस की मालकिन एनीमैरी फॉर्मे ने उसे पीडीएसए पेट फिट क्लब में भर्ती कराया, तब तक उसका वज़न 28 किलो हो चुका था, जो तय मानक से दोगुना था.
पीडीएसए पेट फिट क्लब पालतू जानवरों को मोटापे से लड़ने में मदद करता था.
यहां आते-आते बोरिस का हाल ये था कि उसे कार में बिठाने के लिए दो लोगों को हाथ लगाना पड़ा. उसके एक पांव को गठिए ने जकड़ लिया था.
क़रीब छह महीने की डाइटिंग और नियमित रूप से कसरत के बाद बोरिस का वज़न 7 किलो घट गया है.
उसने सैडी नाम के लैब्राडोर नस्ल के कुत्ते के साथ मिलकर मोटापा घटाने का मुक़ाबला जीता है.
ऐसा नहीं है कि मोटापे ने सिर्फ़ बोरिस को जकड़ा है. दुनिया भर में पालतू जानवरों का मोटापा बढ़ रहा है.
आज की तारीख़ में 22 से 44 फ़ीसदी तक पालतू जानवर मोटापे के शिकार हैं और ये तादाद लगातार बढ़ रही है.
ज़्यादा वज़न वाले कुत्तों के मालिक उन्हें तला भुना ख़ूब खिलाते हैं. इसके अलावा खाने की मेज पर बचा खाना भी पालतू कुत्तों के सुपुर्द कर दिया जाता है.
इसी तरह पालतू मोटी बिल्लियों के मालिक उन्हें घुमाने ले जाने, उनके साथ खेलने के बजाय उन्हें खाने-पीने की चीज़ें देकर ख़ुश करते हैं.
अगर किसी कुत्ते के मालिक मोटे हैं, तो कुत्ता भी मोटापे का शिकार होगा. वैसे मोटापा सिर्फ़ घरेलू जानवरों को नहीं हो रहा. इसके शिकार जंगली जानवर भी हो रहे हैं.
जबकि न तो उन्हें ज़्यादा खाना दिया जा रहा है, न उनके वर्ज़िश करने में कमी आई है.
अब अगर, जानवर मोटापे के शिकार हो रहे हैं, तो ज़रूर कोई न कोई कारण है, जिसे खोजा जाना ज़रूरी है.
कहीं इसका ताल्लुक़ इंसानों में बढ़ती मोटापे की बीमारी से तो नहीं? आज दुनिया में क़रीब 1.9 अरब लोगों का वज़न औसत से ज़्यादा है.
इन में से 65 करोड़ लोग मोटापे के शिकार हैं. ये दुनिया की कुल वयस्कों की आबादी का 13 फ़ीसद बैठता है.
1975 के बाद से दुनिया में मोटे लोगों की तादाद तीन गुनी बढ़ गई है. आज पांच साल से कम उम्र के चार करोड़ से ज़्यादा बच्चे मोटापे के शिकार हैं.
सबसे ज़्यादा वज़नदार कुत्ते लैब्राडोर नस्ल के होते हैं. एलेनोर रैफन कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में जानवरों की डॉक्टर और रिसर्चर हैं.
वे कहती हैं कि लैब्राडोर में मोटापे के कुछ ऐसे जीन हैं, जो उनका वज़न औसत से कम से कम दो किलो बढ़ा देते हैं.
एलेनोर कहती हैं, "जब इन कुत्तों के मालिक किचन में होते हैं, तो ये भी वहीं मंडराते रहते हैं. अक्सर उन्हें खाने के टुकड़े मिल जाते हैं. वो लगातार खाते रहते हैं."
"मज़े के लिए नहीं, बल्कि उन्हें भूख लगी होती है. कुत्तों को इतनी भूख लगने की वजह पीओएमसी नाम का एक जीन होता है. कुत्तों की ये मिसाल इंसानों के लिए भी सबक़ है."
हर वक़्त भूख का एहसास होते रहने के पीछे क़ुदरती कारण हैं. ऐसा हम अपने जीन्स की वजह से महसूस करते हैं. और ये जीन हमें विरासत में मिलते हैं.
अच्छी ख़बर ये है कि जैसे हमारे ज़्यादा खाने का कारण हमें जानवरों पर रिसर्च से पता चला, वैसे ही जानवरों की मिसाल से हम मोटापा भी घटा सकते हैं.
Comments
Post a Comment