लोकसभा चुनाव के मद्देनजर माेदी सरकार ने सवर्णों को आर्थिक आधार पर 10% आरक्षण देने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। केंद्रीय कैबिनेट की सोमवार को हुई बैठक में यह फैसला किया गया। यह आरक्षण सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश के लिए आर्थिक आधार पर दिया जाएगा। यह 10% आरक्षण मौजूदा 49.5% कोटे के अलावा होगा। आरक्षण लागू कराने के लिए सरकार को संविधान संशोधन विधेयक पारित कराना होगा, जो मंगलवार को पेश किया जा सकता है।
पिछले साल मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव से पहले सवर्ण आंदोलन शुरू हुआ था। इसका सबसे ज्यादा असर मध्यप्रदेश में देखा गया था। तीनों राज्यों में कांग्रेस को जीत मिली थी। अनुसूचित जाति-जनजाति संशोधन अधिनियम के खिलाफ सवर्ण संगठनों ने सितंबर में भारत बंद भी रखा था।
दूसरी वजह: देश की हिंदू आबादी में 31% सवर्ण, 125 लोकसभा सीटों पर सवर्ण जीतते हैं
1931 के बाद देश में सरकार की तरफ से कभी जातिगत जनगणना नहीं हुई। हालांकि, नब्बे के दशक में गठित किए गए मंडल आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, देश में पिछड़े वर्ग की आबादी 50% से ज्यादा बताई गई थी। 2007 में सांख्यिकी मंत्रालय के एक सर्वे में कहा गया था कि हिंदू आबादी में पिछड़ा वर्ग की संख्या 41% और सवर्णों की संख्या 31% है। 2014 के एक अनुमान के मुताबिक, 125 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां हर जातिगत समीकरणों पर सवर्ण उम्मीदवार भारी पड़ते हैं और जीतते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- 50% से अधिक नहीं होना चाहिए आरक्षण
सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में साफ किया था कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग या इनके अलावा किसी भी अन्य विशेष श्रेणी में दिए जाने वाले आरक्षण का कुल आंकड़ा 50% से ज्यादा नहीं होना चाहिए। हालांकि, जुलाई 2010 के अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा- ठोस वजह होने पर राज्य सरकार इसे बढ़ा सकती है। मौजूदा समय में तमिलनाडु में 69% (50% ओबीसी और 18% एसटी) आरक्षण है।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा 50% आरक्षण के प्रावधान का जिक्र करते हुए कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने मोदी सरकार के इस कदम को चुनावी नौटंकी बताया। उन्होंने ट्वीट किया, क्या आपने चार साल और आठ महीनों की सरकार में इसके बारे में नहीं सोचा? इसलिए आचार संहिता लगने से तीन महीने पहले ये चुनावी नौटंकी की। जबकि आपको पता है कि इसे 50% से ज्यादा नहीं बढ़ाया जा सकता।
वहीं, कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि हम गरीबों के समर्थन में उठने वाले हर कदम का स्वागत करते हैं। लेकिन कहीं ये भी भाजपा का चुनावी जुमला न बन जाए। कांग्रेस प्रवक्ता ने रोजगार को लेकर भी सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार न तो रोटी दे पाई है, न रोजगार।
केजरीवाल ने कहा- हम समर्थन के लिए तैयार
दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ट्वीट किया, "चुनाव के पहले भाजपा सरकार संसद में संविधान संशोधन करे। हम सरकार का साथ देंगे। नहीं तो, साफ हो जाएगा कि ये मात्र भाजपा का चुनाव के पहले का स्टंट है।''
यह मोदी का मास्टर स्ट्रोक: अठावले
केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने मोदी सरकार के फैसले का स्वागत किया। इसे मास्टर स्ट्रोक बताते हुए अठावले ने कहा कि मोदी के पास और भी स्ट्रोक हैं। मोदी मजबूत बल्लेबाज हैं, उनके पास अभी और भी चौके-छक्के हैं। जब यह बिल संसद में रखा जाएगा, विपक्षी पार्टियों को इस बिल का विरोध नहीं करना चाहिए।
पिछले साल मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव से पहले सवर्ण आंदोलन शुरू हुआ था। इसका सबसे ज्यादा असर मध्यप्रदेश में देखा गया था। तीनों राज्यों में कांग्रेस को जीत मिली थी। अनुसूचित जाति-जनजाति संशोधन अधिनियम के खिलाफ सवर्ण संगठनों ने सितंबर में भारत बंद भी रखा था।
दूसरी वजह: देश की हिंदू आबादी में 31% सवर्ण, 125 लोकसभा सीटों पर सवर्ण जीतते हैं
1931 के बाद देश में सरकार की तरफ से कभी जातिगत जनगणना नहीं हुई। हालांकि, नब्बे के दशक में गठित किए गए मंडल आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, देश में पिछड़े वर्ग की आबादी 50% से ज्यादा बताई गई थी। 2007 में सांख्यिकी मंत्रालय के एक सर्वे में कहा गया था कि हिंदू आबादी में पिछड़ा वर्ग की संख्या 41% और सवर्णों की संख्या 31% है। 2014 के एक अनुमान के मुताबिक, 125 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां हर जातिगत समीकरणों पर सवर्ण उम्मीदवार भारी पड़ते हैं और जीतते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- 50% से अधिक नहीं होना चाहिए आरक्षण
सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में साफ किया था कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग या इनके अलावा किसी भी अन्य विशेष श्रेणी में दिए जाने वाले आरक्षण का कुल आंकड़ा 50% से ज्यादा नहीं होना चाहिए। हालांकि, जुलाई 2010 के अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा- ठोस वजह होने पर राज्य सरकार इसे बढ़ा सकती है। मौजूदा समय में तमिलनाडु में 69% (50% ओबीसी और 18% एसटी) आरक्षण है।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा 50% आरक्षण के प्रावधान का जिक्र करते हुए कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने मोदी सरकार के इस कदम को चुनावी नौटंकी बताया। उन्होंने ट्वीट किया, क्या आपने चार साल और आठ महीनों की सरकार में इसके बारे में नहीं सोचा? इसलिए आचार संहिता लगने से तीन महीने पहले ये चुनावी नौटंकी की। जबकि आपको पता है कि इसे 50% से ज्यादा नहीं बढ़ाया जा सकता।
वहीं, कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि हम गरीबों के समर्थन में उठने वाले हर कदम का स्वागत करते हैं। लेकिन कहीं ये भी भाजपा का चुनावी जुमला न बन जाए। कांग्रेस प्रवक्ता ने रोजगार को लेकर भी सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार न तो रोटी दे पाई है, न रोजगार।
केजरीवाल ने कहा- हम समर्थन के लिए तैयार
दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ट्वीट किया, "चुनाव के पहले भाजपा सरकार संसद में संविधान संशोधन करे। हम सरकार का साथ देंगे। नहीं तो, साफ हो जाएगा कि ये मात्र भाजपा का चुनाव के पहले का स्टंट है।''
यह मोदी का मास्टर स्ट्रोक: अठावले
केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने मोदी सरकार के फैसले का स्वागत किया। इसे मास्टर स्ट्रोक बताते हुए अठावले ने कहा कि मोदी के पास और भी स्ट्रोक हैं। मोदी मजबूत बल्लेबाज हैं, उनके पास अभी और भी चौके-छक्के हैं। जब यह बिल संसद में रखा जाएगा, विपक्षी पार्टियों को इस बिल का विरोध नहीं करना चाहिए।
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