#100WOMEN जमीला जमील: ‘एयरब्रशिंग ग़ैरक़ानूनी होना चाहिए’

अपनी भूमिका के लिए मशहूर अभिनेत्री जमीला जमील का कहना है, कि एयरब्रशिंग महिलाओं के प्रति अपराध है और इसे ग़ैरक़ानूनी घोषित किया जाना चाहिए.

वो इस साल बीबीसी 100 महिलाओं में एक हैं. उन्होंने सोशल मीडिया में नाम से एक कैम्पेन भी शुरु किया है, जिसमें उन लोगों के विचार शामिल किये जाते हैं, जो अपने बाहरी आवरण से अलग होकर कुछ अनोखे और मूल्यपरक दिखते हैं.

मेरा वश चले तो मैं एयरब्रशिंग को कचरे में डाल दूं. मैं इसे ख़त्म करना चाहती हूं. मैं इसे निकाल बाहर करना चाहती हूं.

मुझे लगता है कि ये एक घिनौना हथियार है, जो ख़ासकर महिलाओं के ख़िलाफ़ इस्तेमाल किया जा रहा है. इसके कारण कई समस्याएं पैदा हो रही हैं, जिन्हें हम महसूस नहीं कर पाते, क्योंकि मीडिया, हमारी संस्कृति और हमारे समाज ने हमें अंधा बना दिया है.

मैं किशोरावस्था में भोजन से जुड़ी बीमारियों से ग्रस्त हुई थी. लिहाजा मैं जानती हूं कि पत्रिकाओं में 'सटीक' दिखाई जाने वाली छवि कितनी नुकसानदेह हो सकती है.

ये उपभोक्ताओं के लिए झूठ है
अगर आप विज्ञापन में एयरब्रशिंग देखकर कोई उत्पाद ख़रीद लेते हैं, तो भी आप तस्वीर में दिखने वाले व्यक्ति की तरह नहीं दिखेंगे.

तस्वीर में रेखाएं सटीक होती हैं, झुर्रियां छिपाई जाती हैं, त्वचा हल्की होती है, पतला डील-डौल, लम्बे अंग, चमकती आंखें और दांत होते हैं.

इस सटीकता के साथ उपभोक्ताओं को सपने बेचे जाते हैं, जो वाकई नामुमकिन है. अगर आप खूबसूरती के इन मानकों पर खरा उतरना चाहते हैं तो आपको फौरन कुछ क़ीमती उत्पाद ख़रीदने होते हैं, क्योंकि तभी आप तस्वीर के व्यक्ति की तरह दिखेंगे. (लेकिन जैसा मैंने अभी-अभी कहा कि आप ऐसा कभी नहीं दिखेंगे.) फिर ये किस प्रकार नैतिक या वैध हो सकता है?

ये तस्वीर खींचे गए व्यक्ति के लिए बुरा है
अगर आप अपनी डिजिटल रूप से बड़ा की गई तस्वीर देखते हैं तो आप स्वयं में कई खामियां पाते हैं और आपके लिए अपना वास्तविक अक्स स्वीकार करना मुश्किल हो जाता है, जो आपको आईने में दिखता है.

फिर आप स्क्रीन पर देखी गई तस्वीर के अनुरूप स्वयं को ढालना चाहते हैं. अक्सर इसे पाने के लिए आपको कीमती, दर्दभरी और अक्सर जोख़िम भरी कॉस्मेटिक सर्जरी की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है.

तस्वीरों में फ़िल्टर और डिजिटल एडिटिंग ने सिर्फ़ इतना ही दिया है, कि कई महिलाएं उनकी तरह दिखने के लिए सुइयों, छूरी और चरम हालत का भोजन अपना रही हैं. ऐसी कुछ महिलाओं को मैं जानती हूं.

जब फोटो एडिटर मेरी त्वचा का रंग बदलने और मेरी जातीयता बदलने की कोशिश करते हैं, तो ये न सिर्फ उन लड़कियों के लिए नुकसानदेह है, जो तस्वीर देखकर प्रभावित होती हैं, बल्कि ये मेरे भी मानसिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है.

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